“चरन-कमल बंदौं हरि राइ, जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै। अंधे कौ सब कछु दरसाइ, बहिरो सुनै मूक पुनि बोलै।। रंक चलै सिर छत्र धराइ, सूरदास स्वामी करुनामय। बार-बार बन्दौ तेहि पाई।।” हिन्दी साहित्य के सूर्य एवं भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक संत #सूरदास जयंती की शुभकामनाएँ।
byDekhta India
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